एक फूल, जो सिर्फ भारत में खिलता है। ऐसा फूल जो सिर्फ भारत में है ।

मणिपुर का पर्यटन विभाग हर वर्ष 20 से 24 मई तक शिरुई फेस्टिवल का
आयोजन करता है। इस वर्ष यह आयोजन दो वर्षों के अंतराल के बाद हुआ।

दुनिया में एक ऐसा दुर्लभतम पुष्प है, जिसने खिलने के लिए सिर्फ भारत की भूमि को चुना है। यह साल में करीब एक महीने के लिए खिलता है। इसके दोबारा खिलने के लिए ग्यारह महीने का इंतजार करना होता है। जब यह पुष्प खिलता है, उस दौरान मणिपुर सरकार उत्सव मनाती है। देश-दुनिया के प्रकृति प्रेमी इसे देखने के लिए पैदल ही 6,500 से 8,500 फुट ऊंचे पहाड़ पर चढ़ते हैं।

यह पुष्प है शिरुई लिली, जिसे वैज्ञानिक रूप से लिलियम मैकलिनिया के नाम से जाना जाता है। यह एक दुर्लभ और मनमोहक गुलाबी-सफेद पुष्प है, जो इंफाल से लगभग 83 किलोमीटर दूर उखरुल जिले में शिरुई हिल रेंज में खिलता है। इस जिले में मुख्य रूप से तंगखुल नागा रहते हैं, जो इस क्षेत्र की सबसे पुरानी और सबसे जीवंत जनजातियों में से एक है। वनस्पतिशास्त्री डॉ. फ्रैंक किंगडन वार्ड की पत्नी जीन मैकलिन के नाम पर इसका वैज्ञानिक नाम रखा गया, जिन्होंने 1946 में पहली बार इस पुष्प को देखा था। शिरुई लिली को अंतरराष्ट्रीय पहचान तब मिली, जब रॉयल हॉर्टिकल्चरल सोसाइटी ने 1950 में अपने लंदन फ्लॉवर शो में इसे प्रतिष्ठित मेरिट से सम्मानित किया। 1989 में इसे मणिपुर का राजकीय पुष्प घोषित किया गया। यह फूल न केवल जैव विविधता का प्रतीक है, बल्कि मणिपुर की सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान का भी अहम हिस्सा है। मणिपुर का पर्यटन विभाग हर वर्ष 20 से 24 मई तक इस गांव में शिरुई फेस्टिवल का आयोजन करता है। इस वर्ष यह आयोजन दो वर्षों बाद हुआ। यह फूल हर साल मई और जून के महीनों में खिलता है। यह पुष्प लगभग एक से तीन फुट तक की ऊंचाई में बढ़ता है। एक ही तने पर छह से सात पंखुड़ियों वा यह पुष्प हल्के गुलाबी रंग का होता है, जिसमें नीले या बैंगनी रंग की झलक होती है। कुछ फूलों में सिरों पर नीले रंग की छाया देखने को मिलती है, जिसे स्थानीय लोग 'आंसू की बूंद' कहते हैं। इसमें हल्की और मोहक खुशबू होती है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है। स्थानीय लोग इसे देवताओं का फूल कहते हैं, क्योंकि यह अत्यंत सुंदर और रहस्यमय होता है, और वर्ष में कुछ ही दिनों के लिए खिलता है। शिरुई पहाड़ियों में फूल का सीमित निवास स्थान इसके पारिस्थितिक महत्व को रेखांकित करता है। शिरुई लिली केवल एक फूल नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में भारत का मान भी है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इस पर संकट के बादल भी मंडराने लगे हैं। भारत भूमि में ही खिलने वाले इस दुर्लभतम फूल को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

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